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JAISHREE
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Friday, February 20, 2009
खुशी, सीमा (बदला हुआ नाम ) की वीरान जिंदगी में बहार लेकर आई थी । आज खुशी पाँच साल की हो गई है पर ठीक से बोल नही पाती। सीमा , खुशी को लेकर डॉक्टर के पास गई। डॉक्टर ने कुछ टेस्ट करने के बाद सीमा से खुशी का आई क्यू टेस्ट (बौद्धिक स्तर ) करवाने को कहा । आई क्यू टेस्ट होने के बाद यह साफ़ हो गया कि खुशी भगवान के भेजे हुए विशेष बच्चो में से एक है और मानसिक विक्लांगता कि शिकार है।
चाइल्ड डेवेलोपमेंट सेंटर की स्पेशल एक्जीक्यूटर नसीम फातिम के अनुसार ,"समय से पहले बच्चो का जन्म, बच्चो में आयोडीन की कमी , गर्भवती महिला को पौष्टिक आहार की कमी और जब बच्चा गर्भ में हो तो माँ के साथ कोई अप्रिय घटना का घटित होना आदि कारणों से अधिकतर बच्चों में मानसिक विकलांगता होती हैं। ऐसा ही कुछ खुशी के केस में भी हुआ। जब खुशी सीमा के गर्भ में थी तभी एक कार दुर्घटना में समा के पति सुरेश की मौत हो गई थी जिसके सदमे का असर सीमा के साथ -साथ खुशी के दिमाग पर भी पडा।
चाइल्ड डेवेलोपमेंट सेंटर एक ऐसा केन्द्र हैं जहाँ पर मानसिक रूप से विकलांग बच्चों को पढाया जाता है और उन्हें वोकेशनल ट्रेनिंग भी जाती हैं। इस डेवेलोपमेंट सेंटर की डायरेक्टर का कहना है कि "इन बच्चो के साथ मैं बहुत अच्छा महसूस करती हूँ और यह बच्चे दूसरे बच्चो कि ही तरह बहुत मासूम होते है बस इन्हे थोड़ा ज्यादा प्यार और केयर कि जरूरत होती है। " इस सेन्टर में इन बच्चों को मानसिक विकार से लड़ने के साथ- साथ मोमबत्ती बनाना , ग्रीटिंग बनाना और लिफाफे बनाने कि वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाती है। इन बच्चो में अलग- अलग तरह के विकार है परन्तु इस सेंटर में इन सभी का उनकी विकलांगता से ध्यान हटाकर उनकी योग्यता पर ज्यादा ध्यान दिलाया जाता हैं। इन बच्चों के मनोचिकित्सक डॉक्टर जे सी निगम मानसिक विकलांगता के सिम्टम के बारे में कहना है कि इन बच्चो को बोलने, देखने या समझने में परेशानी होती है। अन्य बच्चो की तुलना में देर से बैठना, चलना और बोलना सीखते है। उन्हें बातों को याद रखने या नई चीजों को सिखने में परेशानी होती है। उन्हें तर्कसंगत तरीके से सोचने में परेशानी होती है।
कुछ केस में मानसिक विकलांग बच्चों को अगर नियमित रूप से दवाई दी जाये तो वो पूरी तरह से ठीक हो सकते है। लेकिन यह सभी केस पर लागू नही होता। कुछ मानसिक रोगी बहुत ही हिंसक होते हैं जिन पर काबू पाना मुश्किल होता है। मानसिक रूप से विकलांग लगभग 87 % लोग नई जानकारी और हुनर सिखने में कमजोर होते है। कुछ बच्चों के बचपन में उनकी मानसिक स्थिति का पता ठीक ढंग से नहीं चल पाता हैं। बाकी के बचे 13 % वे लोग होते हैं जिनका बौद्धिक स्तर का स्कोर 50 से कम होता है इन लोगों को स्कूल, घर और समुदाय में ज्यादा परेशानी होती है। परन्तु प्रत्येक मानसिक विकलांग बच्चे में सिखने और विकास करने की शक्ति होती है और मदद के साथ सभी मानसिक विकलांग बच्चे एक संतोषजनक जीवन बिता सकते हैं।