तिब्बती हस्तकला ...

on Saturday, November 8, 2008

थांगा पेंटिंग

तिब्बत बहुत सी कलाओं का केन्द्र रहा है , धर्मशाला में रह रहे तिब्बतियो के अनुसार चीन अधिकृत तिब्बत में उनकी इन कलाओ का सम्मान नही किया जाता है।1949 चीनी कब्जे के बाद तिब्बत के लोंगो ने भारत , नेपाल, जैसे पडोसी देशो में पनाह ली। और उन्होंने अपनी कलाओ को संरक्षण के लिए उनका प्रयोग यहाँ पर करना आरम्भ कर दिया जिससे वो कुछ पैसे कमा कर अपने समाज की समस्याओ का समाधान कर सके और साथ ही तिब्बत की समृध्द सांस्क्रतिक धरोहर को बरक़रार रख सके। तिब्बत में वैसे तो बहुत सी हस्तकला है । थांगा पेंटिंग , लकड़ी पर दस्तकारी , कपड़ो से उनकी परम्परिक पोशाक बनाना आदि उनमे से कुछ है।
थांगा पेंटिंग तिब्बत में प्राचीन काल से चली आ रही है। इस पेंटिंग को सूती कपड़े पर बनाया जाता है , इस में प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल होता है। एक पेंटिंग को पूरा होने में वर्षो का समय लग जाता है, समय पेंटिंग के साइज़ पर निर्भर करता है। लकड़ी पर दस्तकारी भी यहाँ की कलाओ में से एक है। डिजाईन को पहले किसी पेपर पर बना लिया जाता है और फिर उसे शीशम की लकडी के ऊपर रख कर लकड़ी पर वो ही डिजाईन बनाया जाता है।

8 महीनो की मेहनत
दस्तकारी का हुनर
सिलाई महिलाओ के लिए दायें हाथ का खेल है
बुढापा राह का रोड़ा नही अनुभव का परिचय
हस्तशिल्प का नमूना

4 comments:

Amit K Sagar said...

Very Beautiful. ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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अमित के. सागर
(उल्टा तीर)

Abhi said...

Tibbati kala ki jaankari dene ka dhanyawad. swagat apni virasat se jude mere blog par bhi.

Anonymous said...

achchha hai,
ye word verification hata le.
dhanyabad



----------------------"Vishal"

Anonymous said...

बढ़िया लेख, और तस्वीरों के मध्यम से अच्छी प्रस्तुति.
बधाई स्वीकारें.

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